शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

ज़हेरका इम्तेहान....

ज़हेरका इम्तेहान.....

बुज़ुर्गोने कहा, ज़हरका,
इम्तेहान मत लीजे,
हम क्या करे गर,
अमृतके नामसे हमें
कोई प्यालेमे ज़हर दीजे !
अब तो सुनतें हैं,
पानीभी बूँदभर चखिए,
गर जियें तो और पीजे !
हैरत तो ये है,मौत चाही,
ज़हर पीके, नही मिली,
ज़हेरमेभी मिलावट मिले
तो बतायें, अब क्या कीजे?
तो सुना, मरना हैही,
तो बूँदभर अमृत पीजे,
जीना चाहो तभी ज़हर पीजे!

शमा

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